वर्ष की 4 नवरात्रियों में 2 मुख्य चैत्र और अश्विन नवरात्रि हैं। इन 9 दिनों में माँ भगवती के 9 रूपों की पूजा की जाती है | नवरात्रे शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक की अवधि तक होते है | आश्विन मास ( सितम्बर / अक्टूबर) में आने वाले नवरात्रों को मुख्य नवरात्रे माना जाता है | इन्हे शारदीय नवरात्रों के नाम से जाना जाता है | 2016 में आने वाले शारदीय नवरात्रे और उनकी तारीख 1 अक्टूबर (शनिवार ) से १0 अक्टूबर (सोमवार ) 2016 तक है | इस बार नवरात्रे 10 दिन के हैं। पंचांग के अनुसार द्वितीया तिथि दो दिन की होगी | विजयदशमी (दशहरा) 11 अक्टूबर (मंगलवार ) को पड़ेगा |
देवी दुर्गा के नौ रूप :
प्रथम् शैल-पुत्री च, द्वितियं ब्रह्मचारिणि
तृतियं चंद्रघंटेति च चतुर्थ कूषमाण्डा
पंचम् स्कन्दमातेती, षष्टं कात्यानी च
सप्तं कालरात्रेति, अष्टं महागौरी च
नवमं सिद्धिदात्री
प्रथम् शैल-पुत्री च, द्वितियं ब्रह्मचारिणि
तृतियं चंद्रघंटेति च चतुर्थ कूषमाण्डा
पंचम् स्कन्दमातेती, षष्टं कात्यानी च
सप्तं कालरात्रेति, अष्टं महागौरी च
नवमं सिद्धिदात्री
नवरात्रि तिथि :
प्रथमा तिथि, 1 अक्टूबर 2016, दिन शनिवार (घट स्थापना)
द्वितीया तिथि, 3 अक्टूबर 2016, दिन सोमवार
तृतीया तिथि, 4 अक्टूबर 2016, दिन मंगलवार
चतुर्थी तिथि, 5 अक्टूबर 2016, बुधवार
पंचमी तिथि , 6 अक्टूबर 2016, बृहस्पतिवार
षष्ठी तिथि, 7 अक्टूबर 2016, शुक्रवार
सप्तमी तिथि, 8 अक्तूबर 2016, शनिवार
अष्टमी तिथि, 9 अक्तूबर 2016, रविवार
नवमी तिथि, 10 अक्तूबर 2016, सोमवार
दशमी तिथि, 11 अक्तूबर 2016, मंगलवार
नवरात्र विशेष मंत्र
विश्वव्यापी विपत्तियों के नाश के लिए
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोखिलस्य |
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ||
महामारी नाश के लिए
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते ||
स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिए
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी |
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ||
भक्ति प्राप्ति के लिए
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||
प्रसन्नता प्राप्ति के लिए
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि |
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ||
जीवन में आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||
प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्ति के लिए
विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः।।
अच्छी सेहत और हर प्रकार के भय से मुक्ति के लिए
विशोका दुष्टदमनी शमनी दुरितापदाम्।
उमा गौरी सती चण्डी कालिका सा च पार्वती।।
अशुभ ग्रहों से उपजे संकट से मुक्ति के लिए
हिनस्ति दैत्य तेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योsनः सुतानिव।।
मां चंद्रघंटा को मखाने की खीर का भोग लगायें।
संतान सुख की प्राप्ति के लिए
स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।
मां कूष्माण्डा को अनार के रस का भोग लगायें।
बुद्धि विकास मंत्र
सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी।
परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी।।
वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने के लिए
एतत्ते वदनं सौम्यम् लोचनत्रय भूषितम्।
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायिनी नमोsस्तुते।।
शत्रुबाधा से मुक्ति
त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमुर्धनि तेSपि हत्वा।
नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्त मस्माकमुन्मद सुरारिभवम् नमस्ते।।
परम ऐश्वर्य सिद्धि मंत्र
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।
सर्वमनोकामना पूरक मंत्र
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः।
श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम्।।
श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम्।।
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